हाज़िर दिमाग़


यह कहानी एक बुद्धिमान लड़की की है, जिसने अपनी बुद्धिमानी से एक क्रूर ज़मींदार को हरा दिया। बुद्धिमानी आपको विपरीत परिस्थिति में, बुरे परिणाम से बचा सकती है। 

 बहुत समय पहले की बात है, जब भारत में ज़मींदारों का समय था। ज़मींदार वह व्यक्ति होता था, जो एक तरीके से अपने गांव का मुखिःया होता था। ज़मींदार के पास सभी किसानों की जमीनें गिरवी पड़ी होती थी, जिसका वह अक्सर मोटा ब्याज वसूलते थे, या फिर उनसे उस ज़मीन पर खेती करवा कर सारा अनाज अपने पास रख लेते थे। इस वजह से अधिकतर किसान उनके गुलाम जैसे होते थे। 

ऐसे ही एक गांव में एक किसान था, किसना, जो एक ज़मींदार के क़र्ज़ में डूबा हुआ था। उसकी एक सुंदर और अति बुद्धिमान लड़की थी,जो विवाह के लायक थी। एक साल गाँव में सूखा पड़ा। सूखा पड़ने की वजह से गांव के अधिकतर किसान ब्याज नहीं दे पाए,और ज़मींदार ने अलग अलग तरीके से उनसे ब्याज वसूलना शुरू कर दिया। जब ज़मींदार किसना के घर ब्याज वसूलने पहुंचा तो उसने किसना की सुंदर बेटी को देखा। ज़मींदार ने सोचा की यही सही मौका है। इस किसान की बेटी को अपने साथ विवाह करके, अपने साथ ले जाने का । किसान वैसे ही मेरे ब्याज से गले तक डूबा हुआ है। उसने किसना से कहा कि या तो मेरा ब्याज चुका या फिर अपनी बेटी मेरे साथ भेज दो, किसना बहुत रोया गिड़गिड़ाया, पर ज़मींदार टस से मस नहीं हुआ। यह सब किसान की बुद्धिमान बेटी देख रही थी। उसने अपने पिता से कहा कि अगर इस तरीके से आपका ब्याज मुक्त होता है, तो मैं जाने के लिए तैयार हूं। 

ज़मींदार बड़ा खुश हुआ, पर उसने सोचा कि गांव वालों की नज़रों में अपने आप को दयालु और धर्म संगत दिखाना ज़रूरी है, जिससे गांव वाले भी उसकी प्रशंसा करें। उसने अपने जेब से एक थैली निकाली और बोला, इस थैली में एक काला और एक सफेद पत्थर डालूंगा। अगर सफेद पत्थर निकलता है तो किसान की बेटी मेरे साथ चलेगी। अन्यथा काला पत्थर निकलने पर किसान की बेटी अपने घर रहेगी और मैं उनका कर्ज़  भी माफ कर दूंगा। यह सुनकर गांव वाले आश्चर्य में पड़ गए। किसान की बेटी बोली कि मुझे यह शर्त मंज़ूर है, ज़मींदार ने ज़मीन से दो पत्थर उठाए एक काला और एक सफेद और उसने, थैली में डाल दिए। फिर वह किसान की बेटी के पास आया और बोला एक पत्थर निकाल लो। 

किसान की बेटी और समझदार थी और ज़मींदार की चालाकी समझ चुकी थी। दरअसल सबके सामने ज़मींदार ने नज़र बचा कर दोनों ही सफेद पत्थर डाले थे। किसान की बेटी चाहे कोई भी पत्थर निकाले उसे ज़मींदार के साथ जाना पड़ता। 

किसान की बेटी सोचते हुए जा रही थी कि कैसे अपने आप को इस मुसीबत से निकाला जाए। उसने थैली में हाथ डाला और एक पत्थर निकाल लिया। पर वह पहले से ही जानती थी कि वह सफेद पत्थर होगा। पर उसने चलते हुए लड़खड़ाने का नाटक किया और पत्थर अपने हाथ से छोड़ दिया, जो जमीन पर गिरकर बाकी सब पत्थरों में मिल गया। कोई भी यह नहीं देख पाया कि वह पत्थर किस रंग का था। 

किसान की बेटी बोली, "ओ हो, मुझसे गलती हो गई। मुझे क्षमा कर दीजिए। मेरे लड़खड़ाने की वजह से मेरा पत्थर जमीन पर पड़े बाकी पत्थरों से मिल गया। पर घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमें पता है कि जो पत्थर अब थैली में बचा है, उसका विपरीत पत्थर ही मेरे हाथ में होगा तो जमीदार जी कृपया थैली से बचा हुआ पत्थर निकाले और सभी गांव वालों को दिखाएं कि वह किस रंग का है।"

 ज़मींदार समझ गया था कि उसकी चलाकी पकड़ी गई है और वह फंस गया है। उसने थैली में से सफेद पत्थर निकाला जो कि दूसरा सफेद पत्थर था और गांव वालों को दिखाया। किसान की, लड़की बोली, इसका मतलब निकलता है कि मेरे हाथ से जो पत्थर छूटकर बाकी पत्थरों में मिल गया, वह एक काला पत्थर था और ज़मींदार जी की शर्त के अनुसार अगर मैं काला पत्थर निकालती हूं तो मेरे बाबा कर से मुक्त हो जाएंगे और मुझे भी ज़मींदार के साथ नहीं जाना पड़ेगा। 

ज़मींदार मन मार कर वहां से चला गया और गाँव वाले उस लड़की के बचने और किसान की किस्मत की प्रशंसा करने लगे। पर वास्तव में सिर्फ ज़मींदारऔर वह लड़की जानते थे कि यह किस्मत का नहीं बल्कि बुद्धिमानी का नतीजा था। 

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